सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

जरा विचार करें आतिशबाजी करने से पूर्व...


लंका पर विजय प्राप्त करके भगवान राम कार्तिक अमावस्या के दिन अपना चौदह वर्षों का वनवास समाप्त करके अयोध्या वापस आये थे। उस दिन अयोध्यावासियों ने भगवान राम के वापस आने की खुशी में रात में पूरी अयोध्या में घी के दीपक जलाये थे। कालान्तर में यह दिन हमलोग दीपावली के रूप में मनाने लगे। हमलोग इस दिन दीपक जलाते हैं एवं आतिशबाजी करते हैं। धीरे-धीरे दीपक का स्थान बिजली के झालरों ने ले लिया। दीपक जलने से बरसात में जो कीट-पतंग पैदा हो जाते थे। वह मर जाते थे। लेकिन आज झालरों के कारण ऎसा नहीं हो पा रहा है। इस दिन हम काफ़ी मात्रा में आतिशबाजी करते हैं। जिससे वायु एवं ध्वनि प्रदूषण होता है। पटाखों की तेज आवाज शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। इससे तनाव, बहरापन एवं अवसाद जैसी बीमारियां होती हैं। इसके कारण होने वाले वायु प्रदूषण से अस्थमा एवं श्वास रोगों के मरीजों की स्थिति खतरनाक हो जाती है। आतिशबाजी से हमारे देश का करोड़ो रुपया एक दिन में जल जाता है। जिस देश में धनाभाव के कारण हजारों बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते है और हजारो लोगो को भूखे सोना पडता है। जरा सोचे क्या ऎसा करना मानवता के नाते सही है? क्या एक परिपक्व नागरिक होने के कारण हमारा ऎसा करना सही है? तो फ़िर आइये हमलोग संकल्प ले कि इस दिन हम आतिशबाजी नहीं करके हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचायेगें एवं इस तरह देश के धन को बरबाद नहीं करेगें।
यदि हम आतिशबाजी पर खर्च होने वाले धन को गरीबो के लिये काम करने वाले किसी स्वयं सेवी संस्था को गरीबो के सहायतार्थ या स्वयं गरीबो में दान करे। तो यह आपकी अनोखी एवं वास्तविक आतिशबाजी होगी।

जरा विचार करें आतिशबाजी करने से पूर्व...

लंका पर विजय प्राप्त करके भगवान राम कार्तिक अमावस्या के दिन अपना चौदह वर्षों का वनवास समाप्त करके अयोध्या वापस आये थे। उस दिन अयोध्यावासियों ने भगवान राम के वापस आने की खुशी में रात में पूरी अयोध्या में घी के दीपक जलाये थे। कालान्तर में यह दिन हमलोग दीपावली के रूप में मनाने लगे। हमलोग इस दिन दीपक जलाते हैं एवं आतिशबाजी करते हैं। धीरे-धीरे दीपक का स्थान बिजली के झालरों ने ले लिया। दीपक जलने से बरसात में जो कीट-पतंग पैदा हो जाते थे। वह मर जाते थे। लेकिन आज झालरों के कारण ऎसा नहीं हो पा रहा है। इस दिन हम काफ़ी मात्रा में आतिशबाजी करते हैं। जिससे वायु एवं ध्वनि प्रदूषण होता है। पटाखों की तेज आवाज शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है। इससे तनाव, बहरापन एवं अवसाद जैसी बीमारियां होती हैं। इसके कारण होने वाले वायु प्रदूषण से अस्थमा एवं श्वास रोगों के मरीजों की स्थिति खतरनाक हो जाती है। आतिशबाजी से हमारे देश का करोड़ो रुपया एक दिन में जल जाता है। जिस देश में धनाभाव के कारण हजारों बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते है और हजारो लोगो को भूखे सोना पडता है। जरा सोचे क्या ऎसा करना मानवता के नाते सही है? क्या एक परिपक्व नागरिक होने के कारण हमारा ऎसा करना सही है? तो फ़िर आइये हमलोग संकल्प ले कि इस दिन हम आतिशबाजी नहीं करके हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचायेगें एवं इस तरह देश के धन को बरबाद नहीं करेगें। यदि हम आतिशबाजी पर खर्च होने वाले धन को गरीबो के लिये काम करने वाले किसी स्वयं सेवी संस्था को गरीबो के सहायतार्थ या स्वयं गरीबो में दान करे। तो यह आपकी अनोखी एवं वास्तविक आतिशबाजी होगी।

बुधवार, 3 अगस्त 2011

खोज रहीं अपने मालवीय को माँ गंगा

गंगा सफ़ाई अभियान का शुभारम्भ राजीव गांधी ने सन् १९८५ में वाराणसी में किया. आज तक कम से कम १०००० करोड रूपये से ज्यादा खर्च भारत सरकार ने इस योजना के लिये किया. लेकिन सारा धन देश की भ्रष्ट नौकरशाही के खजानो में चला गया और माँ का आंचल उतना ही अधिक मैला हो गया. माँ गंगा अपनी इस दुर्दशा पर रोती रही लेकिन उनकी करूण क्रदना इस आस्थावान एवं धार्मिक देश के भ्रष्ट नौकरशाही को अपना खजाना भरने के आगे सुनायी नहीं दी. यह कैसी विडम्बना है कि हम सभी अपने आपको बहुत बड़ा आस्थावान एवं धार्मिक कहेंगे. लेकिन माँ के आंचल में गन्दगी फ़ेंकने से पर्हेज नहीं करेंगे.
                    प्राचीन काल में हमारे देश में गंगा में किसी प्रकार की गंदगी डालना पाप समझा जाता था. आज इसी मान्यता को पुनर्जीवित करने की जरूत है तो माँ गंगा का आंचल काफ़ी साफ़ हो जायेगा.
                    अंग्रेजों के राज्य में माँ गंगा को नाला बनाने के लिये माँ गंगा के उदगम स्थान पर टिहरी बांध बनाने की योजना आरम्भ की तब उस समय महामना मालवीय जी ने इसके खिलाफ़ सारे देश में एक बहुत बडा आंदोलन खडा कर दिया. जिसके कारण अंग्रेजों को टिहरी बांध बनाने का निर्णय वापस लेना पडा. लेकिन जो काम उस समय विदेशी सरकार नहीं कर सकी. उसे स्वतंत्रता के बाद स्वदेशी सरकार ने पूरा करके उस विदेशी सरकार के सपने को पूरा किया.माँ गंगा को टिहरी में बन्धक बना कर गंगा नदी को गंगा नाला में तब्दील होने में मह्त्वपूर्ण योगदान करके अंग्रेजों की सरकार की आत्मा को शान्ति प्रदान की.
                    यह् सबसे बड़ी बिडम्बना है कि यह पुण्य का काम उस पार्टी के शासन काल में हुआ, जो अपने आपको भारतीय संस्कृति एवं हिन्दुत्व का बहुत बड़ा रक्षक कहती है. और आज इसी पार्टी की उत्तराखण्ड़ सरकार द्वारा माँ गंगा एवं अन्य नदियों पर विकास के नाम पर बाँध बनाकर इन्हें नदी से नाला बनाने में महत्वपूर्ण योगदान कर रही है. यह कैसा विकास है कि हम अपने देश की संस्कृति की पहचान सभी नदियों का अस्तित्व समाप्त कर दे रहे है. आज माँ रोते हुये अपने महामना मालवीय को खोज रही है कि वह आकर उन्हें बन्धन से मुक्त करायें.

बुधवार, 3 नवंबर 2010

जरा सोचे आतिशबाजी करने से पहले...

कार्तिक अमावस्या के दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके अपना चौदह वर्षों का वनवास समाप्त करके अयोध्या वापस आये थे. उस दिन अयोध्यावासियों ने रात में पूरी अयोध्या में घी के दीपक जलाये थे. कालान्तर में यह दिन हमलोग दीपावली के रूप में मनाने लगे. हमलोग इस दिन दीपक जलाते हैं एवं आतिशबाजी करते हैं. धीरे-धीरे दीपक का स्थान बिजली के झालरों ने ले लिया. दीपक जलने से बरसात में जो कीट-पतंग पैदा हो जाते थे. वह मर जाते थे. लेकिन आज झालरों के कारण ऎसा नहीं हो पा रहा है. इस दिन हम काफ़ी मात्रा में आतिशबाजी करते हैं. जिससे वायु एवं ध्वनि प्रदूषण होता है. पटाखों की तेज आवाज शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिये हानिकार है. इससे तनाव, बहरापन एवं अवसाद जैसी बीमारियां होती हैं. इसके कारण होने वाले वायु प्रदुषण से अस्थमा एवं श्वास रोगों के मरीजों की स्थिति खतरनाक हो जाती है. आतिशबाजी से हमारे देश का करोडो रुपया एक दिन में जल जाता है. जिस देश में धनाभाव के कारण हजारों बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते है और हजारो लोगो को भूखे सोना पडता है. जरा सोचे क्या हमारे द्वारा ऎसा करना मानवता के नाते सही है? क्या एक परिपक्व नागरिक होने के कारण हमारा ऎसा करना सही है? तो फ़िर आइये हमलोग संकल्प ले कि इस दिन हम आतिशबाजी नहीं करके हम पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचायेगें एवं इस तरह देश के धन को बरबाद नहीं करेगें. यदि आप आतिशबाजी पर धन खर्च करने के बजाय उस धन को गरीबो के लिये काम करने वाली किसी स्वयं सेवी संस्था को गरीबो के सहायतार्थ या स्वयं गरीबो
में दान कर दे. तो यह आपकी अनोखी एवं वास्तविक आतिशबाजी होगी.

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

जरा सीखो बुध्दिजीवी मतदताओं डा० अशरफ़ से...

डा० अशरफ़ बिहार के मूल निवासी हैं. इस समय वह अपने पिता एवं परिवार के साथ लंदन में काफ़ी वर्षों से निवास कर रहे है. लेकिन उन्होंने आज तक ब्रिटेन की नागरिकता नहीं ली है. क्योकि वह रह्ते ब्रिटेन में हैं लेकिन उनका दिल हिदुस्तान में बसता है. जब भी बिहार के उनके जिले में चुनाव होता है. तो वह एक दिन पूर्व लंदन से भारत मतदान करने आते हैं. हम भारत के उन बुध्दिजीवी मतदताओं से कहना चाहते हैं, जो मतदान के दिन अपने घर में बैठ कर टी०वी० एवं पिक्चर देखते रहते हैं, लेकिन मतदान करने नहीं जाते हैं. जिसके कारण ३४% या ४५% मतदान होता है. कम मतदान होने से देश के भ्रष्ट राजनेता केवल कुर्सी के लिये आपस में गठ्जोड करके सरकार बना लेते हैं और अपना खजना भरते हैं. आप जरा सोचिये डा० अशरफ़ कितना धन खर्च करके लंदन से भारत मतदान करने आते हैं. लेकिन आपको अपने घर से निकल कर मतदान बूथ तक जाने में कितना धन खर्च होता है.  इस देश का नागरिक होने के कारण क्या आपका परम कर्तव्य मतदान करना नहीं हैं. मतदान इस देश के सभी नागरिकों का परम कर्तव्य है. सभी नागरिक मतदान को अपना परम कर्तव्य समझ करके मतदान करें तो हमारे प्रदेश एवं देश में एक अच्छी सरकार बनेगी और हमारा देश प्रगति के मार्ग पर तेजीसे बढ सकेगा. इसका सबसे अच्छा उदाहरण बिहार है जहां पन्द्रह वर्षों से लालू यादव का अराजक एवं भ्रष्टाचार का राज था. लेकिन अब नितिश के राज में विकास की नदी बह रही है एवं अच्छी कानून व्यवस्था है. बिहार में नितिश का शासन ऎसे चलता रहा तो एक दिन बिहार भी गुजरात की तरह देश का दूसरा विकसित राज्य होगा. अन्त में मैं आशा करता हूं कि हमारे देश के मतदाता डा० अशरफ़ से प्रेणा लेगें और मतदान को अपना परम कर्तव्य समझ करके सदा मतदान करेगें.
 

बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

शैक्षिक योग्यता सांसद,विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के लिये अनिवार्य हो...

हमारे देश में प्रत्येक नागरिक के लिये किसी भी नौकरी के लिये शैक्षिक योग्यता अनिवार्य है.यहां तक कि चपरासी के लिये भी शैक्षिक योग्यता अनिवार्य है. फ़िर क्यों सांसद,विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के लिये  शैक्षिक योग्यता अनिवार्य नहीं है. जो देश चलाने का काम करते हैं. इनके लिये न्यूनतम शैक्षिक योग्यता स्नातक होनी चाहिये. जब यह योग्यता इनके लिये अनिवार्य कर दी जायेगी.तो इस पद पर योग्य लोग आसीन होगें. तो राजनीतिक भ्रष्टाचार, घोटाला एवं वैमनस्यता काफ़ी कम हो जायेगी. जब इन पदों पर योग्य व्यक्ति पहुँचेगें तो हमारा देश शीघ्र तरक्की करेगा और एक महाशक्ति बन जायेगा.